Rahu Grah Dosh Shanti Puja (Pauranik Vidhi Nivaran Jaap)

राहु ग्रह शांति पूजा (पौराणिक विधि, 18000 मंत्र जाप सहित)

यदि किसी जातक की कुंडली में राहु दोष मौजूद होता है तो वह जातक मानसिक तनाव और बिमारियों से ग्रसित रहता है। इसके सभी बुरे प्रभावों को राहु ग्रह शांति जाप द्वारा दूर किया जा सकता है।

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एस्ट्रोकाका द्वारा निर्धारित पुजारियों द्वारा राहु ग्रह दोष की शांति हेतु पूजा करवाएं। इस पूजन में पौराणिक विधि द्वारा राहु के मंत्र "ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:" का 18000 जाप होता है।

विशेषताएं:-

  • राहु दोष निवृति के लिए किया जाने वाला
  • यह किसी भी प्रकार की गलत लत को नियंत्रित करता है, साथ ही जीवन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • आपके जन्म नक्षत्र के अनुसार एक शुभ तिथि पर किया जाने वाला जाप
  • मुख्य देवता: राहु

राहु एक छाया ग्रह है, जो भावनाओं, भौतिकवाद, उत्तेजना, सतर्कता, बुद्धिमत्ता, गंतव्य, मनोविज्ञान आदि को दर्शाता है। जब राहु ग्रह किसी जातक पर अपनी कुदृष्टि रखता है तो उस जातक को बहुत सारी गलतफहमी और मानसिक तनाव उत्पन्न होते हैं, साथ ही वह कई स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित रहता हैं। राहु ग्रह शांति जाप करने से इस ग्रह के सभी बुरे प्रभावों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।

कब करें राहु ग्रह जप?

यह जप रविवार, मंगलवार या शनिवार को किया जा सकता है और तिथि को जन्म नक्षत्र के अनुसार चुना जा सकता है।

राहु ग्रह जाप के लाभ:

  • इस शक्तिशाली जप को भक्ति के साथ करने से राहु ग्रह के सभी दुष्प्रभावों को दूर किया जा सकता है
  • कार्यों में आ रही बाधाओं को दूर करता है
  • यह नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करता है और राहु ग्रह के सकारात्मक अथवा अनुकूल परिणामों को बढ़ाता है
  • सभी स्वास्थ्य समस्याओं, शत्रुओं तथा मन को डगमगाने से बचाता है, यह दुश्मनों पर जीत हासिल करवाता है

कैसे संपन्न होती है ये पूजा?

  • सबसे पहले श्री गणेश-गौरी जी की आराधना होगी, जिसके पश्चात् ओमकार देवता, स्वस्तिक, श्री लक्ष्मी माता, श्री ब्रह्मा, विष्णु, महेश, षोडशमातृका, सप्त घृत मातृका, सर्प देवता, क्षेत्रपाल, दस दिक्पाल, वास्तु पुरुष, चतुःषष्टि योगिनी आदि का एक के बाद एक की पूजा होगी। फिर कलश पूजन होगा जिसके बाद नवग्रह पूजा संपन्न होगी।
  • नवग्रह पूजन के पश्चात् राहु ग्रह का पूजन होगा।
  • उपरोक्त सभी पूजन के पश्चात् राहु दोष शांति हेतु "ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:' मंत्र का 18000 जाप पूरी श्रद्धा और निष्ठापूर्वक संपन्न होगा।
  • मन्त्रोजाप के बाद दशांश हवन संपन्न होगा, जिसके बाद विधि-विधान द्वारा जातक द्वारा संकल्प धारण करवाया जायेगा।

पूजन कालावधि:-

  • 1 दिन (3 पुजारियों द्वारा)

ध्यान दें:- इस पूजन व्यय में हवन सामग्री एवं ब्राह्मण दक्षिणा का खर्च सम्मिलित हैं। फल, फूल एवं मिष्ठान का प्रबंध पूजा करवाने वाले जातक को करना होगा। दिए गए व्यय में एस्ट्रोकाका निर्धारित मंदिर में पूजन संपन्न होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन करवाने हेतु व्यय में आने-जाने का व्यय जुड़ जायेगा जो कि अलग से देय होगा। आपके द्वारा चुने हुए स्थान पर पूजन की सुविधा अभी केवल दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।

एस्ट्रोकाका द्वारा ही क्यों करवाएं अनुष्ठान?

  • वैदिक पाठशाला प्रमाणित और अनुभवी पुजारी / विद्वान।
  • सभी अनुष्ठान वैदिक मानकों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किये जाते हैं।
  • सुखद पूजा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग।
  • समय की पाबंदी और प्रामाणिकता की गारंटी।
  • पेशेवर मार्गदर्शन और समर्थन।