शुक्र ग्रह सौंदर्य, प्रेम, विवाह, यौन सम्बन्ध आदि को नियंत्रित करता है। इस जाप को करने से जातक को अपने इंद्रिय अंगों को नियंत्रित करने की शक्ति मिलती है जिससे जातक प्यार और आनंद से भरा जीवन जीने में सक्षम बनता है।
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एस्ट्रोकाका द्वारा निर्धारित पुजारियों द्वारा शुक्र ग्रह दोष शांति हेतु पूजा करवाएं। इस पूजन में पौराणिक विधि द्वारा शुक्र के मंत्र "ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:' का 16000 जाप होता है।
विशेषताएं:-
शुक्र ग्रह की कुंडली में उपस्थिति जातक के प्रेम एवं दाम्पत्य जीवन, भोग-विलासिता, धन-दौलत, आकर्षण आदि को दर्शाती है। यदि शुक्र कमजोर अथवा अशुभकारी स्तिथि में हो तो जातक का दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रह पाता है, जातक दूसरों की ओर जल्दी आकर्षित होता है, साथ ही उसके जीवन में धन-दौलत सम्बंधित तंगी की स्तिथि बनी रहती है।
क्या होते हैं शुक्र ग्रह शांति पूजा के शुभकारी परिणाम?
कब करवाएं शुक्र ग्रह का जप?
यह जप शुक्रवार के दिन अथवा जातक के जन्म नक्षत्र के अनुसार निर्धारित तिथि को किया जा सकता है।
कैसे संपन्न होती है पौराणिक शुक्र ग्रह दोष निवारण पूजा?
मन्त्रोजाप के बाद शुक्र ग्रह हेतु दशांश हवन संपन्न होगा, जिसके बाद विधि-विधान द्वारा जातक द्वारा संकल्प धारण करवाया जायेगा।
पूजन कालावधि:-
ध्यान दें:- इस पूजन व्यय में हवन सामग्री एवं ब्राह्मण दक्षिणा का खर्च सम्मिलित हैं। फल, फूल एवं मिष्ठान का प्रबंध पूजा करवाने वाले जातक को करना होगा। दिए गए व्यय में एस्ट्रोकाका निर्धारित मंदिर में पूजन संपन्न होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन करवाने हेतु व्यय में आने-जाने का व्यय जुड़ जायेगा जो कि अलग से देय होगा। आपके द्वारा चुने हुए स्थान पर पूजन की सुविधा अभी केवल दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।
एस्ट्रोकाका द्वारा ही क्यों करवाएं पौराणिक विधि द्वारा शुक्र शांति हेतु अनुष्ठान?