Shani Grah Dosh Nivaran Puja (Pauranik Vidhi Jaap)

शनि ग्रह शांति पूजा (पौराणिक विधि, 23000 मंत्र जाप सहित)

जातक की कुंडली में शनि दोष की उपस्तिथि कई प्रकार के अनिष्ट प्रभाव दर्शाता है जो जातक के जीवन में कई तरह की बाधाएं उत्पन्न करता है। शनि ग्रह दोष के सभी बुरे प्रभावों को इस ग्रह के शांति जाप द्वारा दूर किया जा सकता है।

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एस्ट्रोकाका द्वारा निर्धारित पुजारियों द्वारा शनि ग्रह दोष की शांति हेतु पूजा करवाएं। इस पूजन में पौराणिक विधि द्वारा शनिदेव के मंत्र "ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:' का 23000 जाप होता है।

वैदिक विधि द्वारा शनि ग्रह दोष शांति पूजा के लिए यहाँ क्लिक करें

विशेषताएं:-

  • शनि के बुरे प्रभावों को दूर कर आध्यात्मिक और भौतिक विकास प्राप्त करने के लिए
  • करियर अथवा व्यावसायिक जीवन में महान ऊंचाइयों को छूने में मदद हेतु
  • जीवन तथा सांसारिक मामलों में कामयाबी प्राप्त करने के लिए
  • बुद्धि, वित्तीय समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने तथा दुश्मन और बुरी नजर से छुटकारा पाने हेतु
  • शनि दशा द्वारा उत्पन्न दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए
  • शनिवार के दिन अथवा आपके जन्म नक्षत्र के अनुसार शुभ तिथि को क्रियान्वित किया जाता है
  • मुख्य देवता: शनि

शनिदेव न्याय के देवता हैं जो जातकों को उनके कर्मानुसार फल प्रदान करते हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में शनि दुष्प्रभाव उत्पन्न कर रहे हैं तो यह जातक को कंगाली की कगार तक ले जाते हैं, आए दिन उनके घर में कलह-कलेश की स्तिथि बनी रहती है और कोई न कोई सदस्य बिमारियों से ग्रसित रहता है। शनि ग्रह दोष द्वारा उत्पन्न दुष्प्रभावों को शांति जाप द्वारा दूर किया जा सकता है।

भगवान् शनि देव सूर्यदेव के पुत्र हैं। शनि का वाहन कौआ है। हमारी कुंडली में शनि को एक कठोर शिक्षक माना जाता है। ये अनुशासन, तप, प्रयास, निर्णय, सच्चाई, योग और धर्म का प्रतीक हैं। अगर शनि किसी जातक की कुंडली में गलत स्थान पर स्तिथ होते हैं तो उस को बेहद कष्ट और अस्वस्थ जीवन से गुजरना पड़ता है। यह जातक के जीवन में कई प्रकार की बाधाओं का कारण भी बनता है। इन बुरे प्रभावों से मुक्ति पाने और जीवन में खुशियाँ प्राप्त करने हेतु शनि देव का यह ग्रह शांति जप करवाना चाहिए।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनका पूर्ण विधि-विधान द्वारा मंत्रों का जाप करते हुए पूजन किया जाता है।

कैसे संपन्न होता है ये अनुष्ठान?

  • सबसे पहले श्री गणेश-गौरी जी की आराधना होगी, जिसके पश्चात् ओमकार देवता, स्वस्तिक, श्री लक्ष्मी माता, श्री ब्रह्मा, विष्णु, महेश, षोडशमातृका, सप्त घृत मातृका, सर्प देवता, क्षेत्रपाल, दस दिक्पाल, वास्तु पुरुष, चतुःषष्टि योगिनी आदि का एक के बाद एक की पूजा होगी। फिर कलश पूजन होगा जिसके बाद नवग्रह पूजा संपन्न होगी।
  • नवग्रह पूजन के पश्चात् शनि ग्रह और शनिदेव का पूजन होगा।
  • उपरोक्त सभी पूजन के पश्चात् शनि दोष शांति हेतु "ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:' मंत्र का 23000 जाप पूरी श्रद्धा और निष्ठापूर्वक संपन्न होगा।
  • मन्त्रोजाप के बाद दशांश हवन संपन्न किया जाएगा, तत्पश्चात विधि-विधान द्वारा जातक द्वारा संकल्प धारण करवाया जायेगा।

इस जाप की शुरुआत शनिवार के दिन करना सबसे बेहतर परिणाम दर्शाता है।

पूजन कालावधि:-

  • 1 दिन (3 पुजारियों द्वारा)

ध्यान दें:- इस पूजन व्यय में हवन सामग्री एवं ब्राह्मण दक्षिणा का खर्च सम्मिलित हैं। फल, फूल एवं मिष्ठान का प्रबंध पूजा करवाने वाले जातक को करना होगा। दिए गए व्यय में एस्ट्रोकाका निर्धारित मंदिर में पूजन संपन्न होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन करवाने हेतु व्यय में आने-जाने का व्यय जुड़ जायेगा जो कि अलग से देय होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन की सुविधा अभी केवल दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।

एस्ट्रोकाका द्वारा ही क्यों करवाएं अनुष्ठान?

  • वैदिक पाठशाला प्रमाणित और अनुभवी पुजारी / विद्वान।
  • सभी अनुष्ठान वैदिक मानकों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किये जाते हैं।
  • सुखद पूजा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग।
  • समय की पाबंदी और प्रामाणिकता की गारंटी।
  • पेशेवर मार्गदर्शन और समर्थन।