Chandra Grah Dosh Nivaran Puja Pauranik Vidhi Jaap

वैदिक चंद्र ग्रह दोष शांति पूजा (11000 मंत्र जाप व हवन सहित)

चंद्र देव जातक के बचपन, सुख-शांति, आदि पर नियंत्रित रखते हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्र हानिकारक स्तिथि पर मौजूद हैं तो इससे जातक का जीवन मानसिक अवसादों, अप्रसन्नता और दुर्भाग्य से पूर्ण रहता है। इन सभी प्रकारों के बुरे प्रभावों को चंद्र दोष शांति जाप को वैदिक विधि द्वारा संपन्न करने पर दूर किया जा सकता है।

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एस्ट्रोकाका पर उपलबध चयनित तजुर्बेकार एवं पेशेवर पुजारियों द्वारा वैदिक विधि द्वारा चंद्र ग्रह दोष निवारण हेतु पूजा करवाएं। इस पूजन में चंद्र के निम्नलिखित वैदिक मंत्र का 11000 जाप होता है।

मंत्र:

ॐ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं।
महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय इमममुध्य पुत्रममुध्यै
पुत्रमस्यै विश वोsमी राज: सोमोsस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा।

पौराणिक विधि द्वारा चंद्र ग्रह शांति पूजा करवाने हेतु यहाँ क्लिक करें

विशेषताएं:-

  • कार्यक्षेत्र में स्थिरता प्राप्त करने हेतु
  • बौद्धिक विकास हेतु
  • मानसिक तनाव से बचाव के लिए
  • चन्द्रमा ग्रह दशा से उत्पन्न दुष्प्रभावों से मुक्ति के लिए
  • सोमवार के दिन या फिर जातक के जन्म नक्षत्र के अनुसार किसी शुभ तिथि पर पूर्ण किया जाने वाला
  • मुख्य देवता: चंद्र

चंद्र हमारे मन और मस्तिष्क के कारक हैं जो कुंडली में इनकी दशा के अनुसार हमारे मन, मानसिकता, भावनाओं, प्रेम, संवेदनशीलता, व्यक्तित्व, और माँ के साथ हमारे सम्बन्ध को नियंत्रित करते हैं।

जब चन्द्रमा किसी जातक की कुंडली के 4थे, 6वें, 8वें अथवा 12वें भाव में विराजमान होता है, तो वह याददाश्त की कमजोरी, आत्मविश्वास में कमी, श्वास, प्रजनन सम्बंधित दिक्कत आदि जैसी परेशानियों से ग्रसित रहता है।

एस्ट्रोकाका के पुजारी आपकी कुंडली में दुर्बल चन्द्रमा को मजबूत करने के लिए चंद्र देव के मन्त्र का पूरी निष्ठा एवं विधि-विधान से जाप करते हैं।

कैसे पूर्ण होती है वैदिक विधि द्वारा चंद्र ग्रह शांति हेतु ये पूजा?

  • सबसे पहले श्री गणेश-गौरी जी की पूजा की जाती है, जिसके बाद श्री ओमकार देवता, स्वस्तिक, श्री लक्ष्मी माता, श्री ब्रह्मा, विष्णु, महेश, षोडशमातृका, सप्त घृत मातृका, सर्प देवता, क्षेत्रपाल, दस दिक्पाल, वास्तु पुरुष, चतुःषष्टि योगिनी आदि एक के बाद एक की पूजा संपन्न होती है। तत्पश्चात कलश पूजन किया जाता है जिसके बाद नवग्रह पूजा संपन्न होती है।
  • नवग्रह पूजन के पश्चात् चंद्र देव का पूजन होगा।
  • उपरोक्त सभी पूजाओं के बाद चन्द्रमा ग्रह दोष की शांति हेतु ऊपर दिए गए वैदिक मंत्र का 11000 जाप पुजारियों द्वारा सम्पूर्ण श्रद्धा और निष्ठापूर्वक पूर्ण होता है।
  • मन्त्रों के जाप पूर्ण होने पर चंद्र ग्रह हेतु दशांश हवन संपन्न किया जाता है, फिर पूर्ण विधि-विधान द्वारा जातक द्वारा संकल्प धारण करवाया जाता है।

कब करवाएं वैदिक चंद्र ग्रह दोष निवारण जाप?

इस जाप को सोमवार के दिन अथवा जातक के जन्म नक्षत्र के अनुसार किसी भी शुभ तिथि को संपन्न किया जा सकता है।

वैदिक चंद्र ग्रह पूजा के लाभ:

  • व्यक्ति की भौतिक एवं आध्यात्मिक तौर पर उन्नति होती है
  • चंद्र ग्रह के शुभ प्रभावों में वृद्धि होती है
  • व्यक्ति की आत्मशक्ति मजबूत बनती है
  • श्वास एवं अन्य कई प्रकार की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं
  • शत्रुओं एवं बुराइयों से मुक्ति मिलती है
  • भाग्य सशक्त होता है

पूजन की काल अवधि:-

  • 1 दिन (6 ब्राह्मणों द्वारा)

ध्यान दें:- चंद्र ग्रह शांति की वैदिक विधि के इस पूजन व्यय में हवन सामग्री एवं ब्राह्मण दक्षिणा का खर्च सम्मिलित हैं। फल, फूल एवं मिष्ठान का प्रबंध पूजा करवाने वाले जातक को करना होगा। दिए गए व्यय में एस्ट्रोकाका निर्धारित मंदिर में पूजन संपन्न होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन करवाने हेतु व्यय में आने-जाने का व्यय जुड़ जायेगा जो कि अलग से देय होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन की सुविधा अभी केवल दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।

एस्ट्रोकाका द्वारा ही क्यों करवाएं अनुष्ठान?

  •     अनुभवी एवं वैदिक पाठशाला प्रमाणित पुरोहित।
  •     सभी अनुष्ठान वैदिक मानकों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किये जाते हैं।
  •     सुखद पूजा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग।
  •     समय की पाबंदी और प्रामाणिकता की गारंटी।
  •     पेशेवर मार्गदर्शन और समर्थन।