जिस जातक की कुंडली में मंगल अपना अशुभ असर दिखता है, उसके वैवाहिक जीवन में आये दिन कलह बना रहता है, साथ ही वह व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से बेहद कमजोर हो जाता है। मंगल के सभी दुष्प्रभावों को दूर करने हेतु वैदिक मंगल ग्रह दोष शांति जाप किया जाता है।
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अनुभवी पुजारियों द्वारा मंगल ग्रह दोष शांति हेतु वैदिक पूजन करवाएं। इस पूजा में मंगल ग्रह के निम्नलिखित वैदिक मंत्र का 10000 जाप होता है।
मंगल का वैदिक मंत्र :
ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्। अपां रेतां सि जिन्वति।।
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विशेषताएं:-
मंगल को ग्रहों का सेनापति कहकर भी सम्बोधित किया जाता है। अगर कुंडली में मंगल मजबूत स्तिथि में मौजूद है तो जातक को ऋण से जल्दी छुटकारा मिलता है, दाम्पत्य जीवन सुखमय बना रहता है, साथ ही विवाह में आ रही बाधाओं, शारीरिक आलस्य, संतान प्राप्ति में रूकावट, आदि जैसी दिक्कतें दूर होती हैं।
किस समय वैदिक मंगल ग्रह शांति पूजा करवाना देता है बेहतर फल?
इस पूजन को मंगलवार के दिन अथवा जातक के जन्म नक्षत्र के अनुसार किसी भी शुभ तिथि को संपन्न करने पर सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।
किस प्रकार किया जाता है वैदिक मंगल ग्रह दोष निवारण अनुष्ठान?
वैदिक मंगल ग्रह शांति पूजा के फल:-
पूजन कालावधि:- 1 दिन (4 पुजारियों द्वारा)
ध्यान दें:- मंगल ग्रह की इस वैदिक पूजन विधि में हवन सामग्री एवं ब्राह्मण दक्षिणा का खर्च सम्मिलित हैं। फल, फूल एवं मिष्ठान का प्रबंध पूजा करवाने वाले जातक को करना होगा। दिए गए व्यय में एस्ट्रोकाका निर्धारित मंदिर में पूजन संपन्न होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन करवाने हेतु व्यय में आने-जाने का व्यय जुड़ जायेगा जो कि अलग से देय होगा। आपके द्वारा चुने हुए स्थान पर पूजन की सुविधा अभी केवल दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।
एस्ट्रोकाका द्वारा ही क्यों करवाएं वैदिक विधि द्वारा मंगल शांति हेतु पूजन?